भारत मे stock market मे ट्रैडिंग का प्रारंभ

भारत मे stock market मे ट्रैडिंग का प्रारंभ:

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stock market मे ट्रैडिंग की शुरुआत 18 वी शताबती के अंत मे हुई थी ,लेकिन औपचारिक रूप से stock market का गठन 1875 मे हुआ ,जब बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की स्थापना की गई । यह एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है । इससे पहले ,कुछ व्यापारी अनुपचारिक रूप से शेयरो का लेन देन करते थे । लेकिन 1875 जब बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का गठन हुआ तब इसे संगठित रूप दिया गया । 1957 मे BSE को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हुई । और भारत मे व्यापार का औपचारिक ढाचा विकसित हुआ ।

NSE: 

NSE की स्थापना 1992 मे हुई और इलेक्ट्रॉनिक ट्रैडिंग सिस्टम पर आधारित भारत का पहला आधुनिक एक्सचेंज था । भारत मे stock market मे ट्रैडिंग की शुरुआत का इतिहास काफी पुराना है ,जो भारतीय व्यापार के विकास  और आर्थिक गतिविधियों से जुड़ा हुआ है । इसका प्रारम्भिक दौर अनुपचारिक था ,लेकिन धीरे -धीरे एक संगठित प्रणाली के रूप मे विकसित हुआ ।यहा विस्तार से इसकी प्रमुख घटनाओ का विवरण दिया गया है ।

1. प्रारम्भिक अनौपचारिक   व्यापार :

1800 के दशक मे ,भारत मे ब्रिटिश शासन के दौरान ,कुछ व्यापारी अनौप्चारिक रूप से शेयर और बाँड़ों का लें दें करते थे । ये व्यापारी के समूह विशेष रूप से बॉम्बे (अब मुंबई ) मे व्यापारिक प्रतिष्ठानों के शयरों का लें -दें करते थे । इस दौरान भारतीय शेयर बाजार का कोई औपचारिक संगठन नहीं था ।

2. बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) (1875) :

भारत मे संगठित शेयर बाजार की शुरुआत 1875 मे हुई ,जब बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज बीएसई की स्थापना की गई । यह एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है । शुरुआत दौर 22 शेयर दलल (ब्रोकर ) दलल स्ट्रीट पर एक साथ बैठकर व्यापार करते थे । यही से भरत मे संगठित शेयर बाजार का औपचारिक आरंभ हुआ । शुरुआत कुछ प्रमुख कंपनियों के नाम है ,बंबई स्पिनइंग एण्ड विविंग कंपनी ,बॉम्बे बाम्बे बैंकिंग कंपनी ।

3. सरकारी मान्यता और विनियमन 1(957):

बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज को 1957 मे भारतीय सरकार द्वारा औपचारिक मान्यता प्राप्त हुई ,जिससे यह एक मान्यता प्राप स्टॉक एक्सचेंज बन गया । इसके बाद ,1950 और 1960 के दशक मे ,भारतीय अर्थव्यथा मे बढ़ती गतिविधिओ के साथ स्टॉक मार्केट का विस्तार होने लगा । कॉम्पनी पूंजी जुटाने के लिए शेयर बाजार का उपयोग करने लगी ।

4. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की स्थापना :

 

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1991 मे आर्थिक उदारीकरण के बाद , भारतीय वित्तीय बाजार मे कई सुधार हुए , 1992 मे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) स्थापना की गई । NSE ने आधुनिक एलेक्ट्रानिक ट्रैडिंग प्रणाली को लागू किया ,जिससे ,ट्रैडिंग अधिक सुलभ और पारदर्शी बनी । एनएसई ने भारतीय शेयर बाजार मे क्रांति ला दी . यह भारत का पहला परी तरह से एलेक्ट्रानिक शेयर बाजार था ,जिसमे कंप्युटराईज सिस्टम के माध्यम से शेयर का व्यापार किया जाता था । इसने पारंपरिक ओपन आउट्क्राइ ट्रैडिंग सिस्टम की जगह ली ।

5.सेबी (SEBI) का गठन (1992):

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की स्थापना भी 1992 मे हुई । इसका उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना और भारतीय प्रतिभूति बाजार को विनियमित करना था । सेबी ने स्टॉक मार्केट मे पारदर्शिता लाने के लिए ,कई सुधार किए ,जैसे धोखाधड़ी रोकने के लिए सख्त नियम और निर्देश ।

6. सुधार और विस्तार का दौर (2000 के बाद ):

2000 के दशक मे ,इंटरनेट के आने और अनलाइन ट्रैडिंग के विस्तार से stock market तक पहुँच और आसान हो गई । इसके बाद से भारत मे शेयर बाजार मे काफी तेजी से वृद्धि हुई । डेरिवेटिव्स ट्रैडिंग ,म्यूचूअल फंड ,और अलगोरिडमिक ट्रैडिंग जैसे उन्नत वित्तीय उत्तपदों ने स्टॉक मार्केट को और भी जटिल और विकसित बनाया ।

7. वर्तमान समय (2020 के बाद ):

आज ,भारत मे BSE और NSE दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज है ,जिनके हजारों कंपनिया सूचीबद्ध है और लाखों निवेशक प्रतिदिन अरबों डालर का व्यापार करते है । भारतीय शेयर बाजार अब वैश्विक मानकों के अनुरूप है ,और यह निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक प्लेटफार्म बन चुका है ,एनएसई पर अधिकतर ट्रैडिंग इलेक्ट्रॉनिक रूप मे होती है ,जबकि बीएसई भी पूरी तरह डिजिटल प्लेटफार्म पर कार्यरत हो चुका है ।

डिस्क्लेमर : इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना है, किसी स्कीम में निवेश की सिफारिश करना नहीं. निवेश का कोई भी फैसला अपने निवेश सलाहकार की राय लेने के बाद ही करें.)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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